08 August 2016

युवा होना एक वय है, पर किसी खास उम्र में होना भर नहीं है। यह जीवन का वह मोड़ है, जब बचपन पीछे छूट गया होता है और जिंदगी मुकम्मल-सी नजर आती है।




युवा होना एक वय है, पर किसी खास उम्र में होना 
भर नहीं है। यह जीवन का वह मोड़ है, जब बचपन पीछे छूट गया होता है और जिंदगी मुकम्मल-सी नजर आती है। भारत युवाओं का देश है और हमेशा ही यह युवाओं का देश ही रहेगा, कम से कम सन 2030 तक तो यह कयास लगाए ही जा रहे हैं। यह कोई भविष्यवाणी नहीं है, बल्कि जनसंख्या विज्ञानियों का शुद्ध व स्पष्ट गणितीय अनुमान है। जनसंख्याओं के अध्ययन के दौरान एक अवधारणा हमारे सामने आती है, जिसे हम वय मध्य कहते हैं। वय मध्य या मीडियन एज से आशय उस वय से होता है, जिसके नीचे की आधी आबादी युवा और ऊपर की आधी आबादी वृद्ध समझी जाती है। सरल शब्दों में इसे एक खास आबादी के सभी लोगों की औसत आयु कहा जा सकता है। 
संयुक्त राष्ट्र (यू.एन.) के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग के अंतर्गत आने वाला जनसंख्या संभाग समय-समय पर विश्व भर की भविष्य युवाओं का है। जनसांख्यिकीय गणनाएं बताती हैं कि २क्३क् तक भारत विश्व की आबादी का एक चौथाई होगा। साथ ही देश में युवाओं की संख्या, बाकी दुनिया के मुकाबले काफी अधिक होगी। जाहिर है कि युवा भारत — सशक्त भारत समाज, कला, संस्कृति, विज्ञान और उद्योगों में दखल के जरिए दुनिया में सकारात्मक बदलावों का नेतृत्व करेगा। 
जनसंख्या पर अध्ययन करता रहता है। इन अध्ययनों से साफ पता चलता है कि हमारे देश में लोगों का वय मध्य सन 2010 तक की गणनाओं के मुताबिक 25.5 वर्ष था, जो संयुक्त राज्य अमेरिका की खुफिया एजेंसी सी.आई.ए. के अनुसार 2013 तक 26.7 वर्ष हो गया है। इस आंकड़े को अलग करके देखने पर इसमें पुरुषों का वय मध्य 26.1 वर्ष और स्त्रियों का वय मध्य 27.4 वर्ष पता चलता है।
अब हम भारत में निवास करने वाले 1 अरब 21 करोड़ से अधिक लोगों व विश्व की 17.06 फीसदी आबादी की तुलना, दूसरे देशों से करते हैं। आज की तारीख में चीन दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। दूसरे स्थान पर भारत आता है और संयुक्त राज्य अमेरिका, जनसंख्या के मामले में तीसरा सबसे बड़ा देश है। 31 दिसम्बर, 2012 तक संपन्न हुई जनगणना में पता चला कि चीन की 
आबादी 1 अरब 35 करोड़ 40 लाख से अधिक है, जो विश्व की कुल आबादी का 19.08 फीसदी हिस्सा है। चीन का वय मध्य 36.3 वर्ष है। 
वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका, जिसकी आबादी 5 जुलाई, 2013 तक 31 करोड़ 61 लाख से ज्यादा लोगों के साथ विश्व जनसंख्या का 4.46 फीसदी हिस्सा थी, की स्थिति भी कमोबेश चीन की तरह ही है। वहां कुल वय मध्य 37.2 वर्ष है। 
मानव-जाति की आबादी लगभग 7 अरब 9 करोड़ 61 लाख से अधिक लोगों की है और संपूर्ण मनुष्यता का वय मध्य आज की तारीख में 29.4 वर्ष है। आंकड़ों से साफ दिखता है कि दुनिया का वय मध्य भारत से अधिक है, यानी दुनिया भर की तुलना में भारत में अधिक युवा हैं। साथ ही यह बात पुरजोर तरीके से समझ में आती है कि हिंदुस्तान विश्व की ऐसी आबादी वाला देश है, जिसका मानव-जाति में प्रतिनिधित्व लगातार बढ़ता जा रहा है और जो लोग यह नुमाइंदगी कर रहे हैं, वह युवा हैं। 
इसका नतीजा यह है कि दुनिया भर में उत्पादन के दुनिया भर में गजब के बदलाव लाएंगे। पश्चिमी दुनिया के पास संसाधन तो होंगे, पर दक्ष लोगों के लिए उन्हें अब तक ‘कमतर’ और ‘कमजोर’ समझे जाने वाले देशों पर आश्रित होना होगा। भारत की महत्ता इस लिहाज से भी विश्व-राजनीति में बदल जाएगी। सन 2030 तक भारत एक घनी आबादी वाला देश होगा। इसके कई घाटे हो सकते हैं, लेकिन प्रकाश की एक लौ भी दूर से दिखती है। प्रौढ़ हो चुके अन्य देशों के बीच हम नई ऊर्जा और हिम्मत के साथ तब 
भी एक नई दुनिया बना रहे होंगे। ऐसी दुनिया, जिसमें सदियों से संजोया अनुभव तो होगा, पर दकियानूसी खयालों का एक कतरा भी शेष नहीं बचेगा। 
जब युवा विज्ञान, राजनीति, कला, साहित्य, उद्योग, व्यापार और जीवन के तमाम क्षेत्रों में ताकतवर होंगे तो यह मानवता के लिए नए भोर की तरह होगा। संवेदनाएं जहां नई होंगी, सपने नए होंगे और चूंकि समतामूलक प्रेम ही यौवन का धर्म है तो ऐसे रिश्ते समाज के 
ताने-बाने को हर तरफ मजबूत करेंगे। नए जमाने का आगाज होगा, ताकत का पुरकशिश एहसास होगा और उमंगों की धड़कती कहानी होगी। इन संभावनाओं के बाद यह कहने में अब क्या परहेज हो कि भविष्य हमारा — हिंदुस्तान के लाखों-करोड़ों युवाओं का है। 



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